हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,इस्लामी इंक़ेलाब की कामयाबी की सालगिरह पर पूरे मुल्क में अवामी जश्न भी, इस्लामी इंक़ेलाब की अरमानों से लोगों की वफ़ादारी और लगाव के चरम को हमेशा ज़ाहिर करता हैं।
इस साल भी 11 फ़रवरी का दिन अल्लाह की तौफ़ीक़ से लोंगों की हाज़िरी का प्रतीक, अवाम की इज़्ज़त का प्रतीक, अवाम में एक दूसरे पर भरोसे का प्रतीक है, क़ौमी एकता का प्रतीक हैं।
यह वह दिन है कि ईरानी क़ौम अपनी एकता का परचम लहराकर दुश्मन को साफ़ तौर पर यह पैग़ाम दे सकती है कि क़ौमी एकता को ख़त्म करने की उसकी कोशिश नाकाम हो चुकी है और वह लोंगों में जुदाई नहीं डाल सकता।
लोंगों ने बता दिया कि वे दुश्मन के साथ नहीं हैं। अलबत्ता दुश्मन, मीडिया में बढ़ा-चढ़ा कर दिखाता है, झूठी भीड़, झूठा मजमा, आप दुश्मन के मुख़्तलिफ़ तरह के मीडिया प्लेटफ़ार्म देखते ही हैं, वह इस तरह ज़ाहिर करता है कि ग़ाफ़िल और बेख़बर इंसान को लगे कि सच में कुछ हो रहा है,
जबकि हक़ीक़त में ऐसा नहीं है। जो चीज़ नुमायां और अज़ीम है वह अवाम की इंक़ेलाब की ख़िदमत और इंक़ेलाब के मैदानों में मौजूदगी है।
इमाम ख़ामेनेई,